पुस्तकों से प्रेम: इन चार विद्यार्थियों के लिए ऑक्सीजन समान है पुस्तकालय

एक शांत कमरा, ढ़ेर सारी किताबें, कई लोग, फिर भी चुपकुछ याद आया? जी हाँ! मैं बात कर रहा हूँ किताबों से भरे उस कमरे की जिसेपुस्तकालयया लाइब्रेरी कहते हैं। अपने स्कूल या कॉलेज के दौरान हम सभी कई बार पुस्तकालय गए होंगे।

किताबें युवावर्ग की सबसे अच्छी मित्र हैं। जिस तरह एक व्यक्ति अपने मित्र की सहायता हर पल, हर घड़ी और हर मुश्किल में साथ देता है। वैसे ही किताबें भी हर विषम परिस्थिति में मनुष्य की सहायक होती हैं । पुस्तकालय की पुस्तकों में हर मुश्किल सवाल, हर परिस्थिति का हल छुपा होता है, मनुष्य भले ही किसी दुविधा में रहे। पुस्तकों को पढ़ने से मानव की सोच का विस्तार होता है। और ज्ञान की प्राप्ति से मानव हर समस्या का आसानी से निधान कर सकता है। इसलिए  पुस्तकालय युवावर्ग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

औसत वर्ग का व्यक्ति अपनी रूचि या ज़रुरत की सभी महँगी किताबें नहीं खरीद पाता है और पैसे के अभाव में युवावर्ग ज्ञान और शिक्षा से वंचित रह जाता है। परन्तु पुस्तकालय के माध्यम से सभी प्रकार की किताबें एवं उनके ज्ञान का आसानी से लाभ उठाया जा सकता है। अलग अलग विषयों की पुस्तकें पढ़ने से युवाओं को हर क्षेत्र का ज्ञान मिलता है। युवावर्ग में किताबें पढ़ने से जागरूकता आती है।

जिस तरह सजीव को जीने के लिए ऑक्सीजन, पानी, भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह युवावर्ग को भी अपना विकास करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। पुस्तकालय एक ऐसा माध्यम है, जो हर युवावर्ग को कामयाबी की ओर ले जाता है। पुस्तकालय में कई क्रांतिकारियों की पुस्तकें पढ़के, उनसे प्रेरित होकर हमें भी देश के प्रति कुछ करने की चाह उत्पन्न होती है। ज्ञान ही वह साधन है, जो देश को प्रगतिशील बनाने में सहायक होती है।

सरिता फूलचंद प्रजापति

जिस तरह मनुष्य को ऑक्सीजन और बड़ों के प्रति प्रेम भाव ज़रूरी होता है, वैसे ही हर व्यक्ति के लिए समय महत्वपूर्ण होता है। यह सीख मुझे मेरे पुस्तकालय से प्राप्त हुई कि समय सबसे बलवान होता है। नित्य दिन हम समय का इंतज़ार कर सकते है पर समय हमारा इंतज़ार नहीं करता। मैं भीसमयनामक पुस्तक पढ़ कर बुहत प्रेरित हुई,

समय का सबसे कहना है,
जीवन चलते रहना है,
जीवन बहता पानी है,
रुकना मौत निशानी है”

यह चार पंक्तियाँ मुझे यह सन्देश देती हैं किसमयचाहे दुःख का हो या सुख का, हमें जीवन को रोकना नहीं बल्कि उसका सामना करना चाहिए। यदि हम अपने कार्य में लापरवाही करें तो हम कहीं कहीं कुछ छोड़ देते हैं। मैं आपको बस समय का महत्व बताना चाहती हूँ। यदि आपने जीवन में समय का महत्व समझ लिया तो आपको ऐसी कामयाबी मिलेगी जो धन की प्राप्ति से भी ऊपर है।

रजनी ठाकुर

मुझे पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है। बचपन से अगर मैं कभी खाली बैठी रहती थी तो खुद की ना सही पर अपने भाई बहनों की किताबें पढ़ना शुरू कर देती थी। किताबों में लिखी कहानियों को पढ़कर फिर उस कहानी के किसी पात्र का किरदार निभाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था और ये मैं अब भी करती हूँ। मुझे दूसरे देशों की कहानियाँ बहुत अच्छी लगती हैं। दूसरे देशों में रहने वाले लोगों की वेशभूषा, उनके रहनसहन, खानपान इत्यादि से सम्बंधित कहानियाँ उनमें से सबसे ज़्यादा मैंने विलियम शेक्सपियर की कहानियाँ पढ़ी और सुनी हैं। उनके द्वारा लिखित मुझे सबसे अच्छा प्रकरणव्हाट इस इन नेमलगा। यह प्रकरण हमारी सातवी कक्षा के इंग्लिश टेक्स्टबुक में था उन्होंने इसमे कहा था कि अगर हम गुलाब के फूल का नाम कुछ और रख दें तो भी उसमे से वही सुगंध आएगी।

हमारे घर से कुछ दूरी पर एक रीडिंग कार्नर है। यह कोई बहुत बड़ी संस्था नही है बल्कि मेरे आसपड़ोस के युवावर्गीय विद्यार्थियों द्वारा आयोजित एक छोटा सा कमरा है। इसका नाम हैरोहित वेमुला सेंटर करीब १० से २० युवावर्गीय विद्यार्थियों द्वारा इस सेंटर को संचालित किया गया है। मैने जब उनसे पूछा कि इस सेंटर से क्या होगा तो उन्होंने मुझे बताया कि हमारे यहाँ अभी भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो विद्यालय नहीं जा पाते; मन में पढ़ने की इच्छा होते हुए भी उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिलता क्यूंकि वे काम करते हैं। उनके घर में आर्थिक परेशानियाँ होने के कारण उनका विद्यालय का समय छूठ जाता है तो वे यहाँ आकर पढ़ पाएंगे और उन्हें पढ़ने में मदद दी जाएगी। जिनके पास पुस्तकें नहीं होती उन्हें यहाँ के वॉलंटीयर मुफ्त में पुस्तकें भी देते हैं। पढ़नेवाले  पुस्तकें पढ़ कर उन्हें लौटा देते हैं। यह सेंटर सुबह के बजे से रात के १० बजे तक खुला रहता है। यह ज़रूरी नहीं कि लाइब्रेरी के लिए एक बड़ा कमरा हो, बहुत से कर्मचारी हों। अगर हम चाहें तो चलतीफिरती रेलगाड़ियों, बसों, लम्बी कतारों में भी पुस्तकें पढ़ सकते हैं।  

मैने अब तक अपने जीवन में बहुत से पुस्तकालय देखे और इस्तेमाल किये हैं। वहाँ से सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि मेरे मित्रों, भाईबहनों और आसपड़ोस में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भी लाभ हुआ है। दरअसल मेरे परिवार वालों को बहुत शौक था कि हमारे घर के बच्चे हमें भी रोज़रोज़ कुछ नया सिखाएं या बताएं। इसमें मुझे भी हर दिन कुछ कुछ बताना पड़ता। इसके लिए मैं जो भी पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ती, उनमें से कोई भी टॉपिक उठा कर घर पे सुनती। इस तरह मेरा भी अनुभव बढ़ता था और मेरे परिवार वालों को भी ख़ुशी मिलती।

पुस्तकालय के कर्मचारी मुझे रोज़ पुस्तकालय में देख कर मुझे पहचानने लगे और मुझे पुस्तकें पढ़ने और समझने में मदद करने लगे। उनसे मैने बात कर कर के कुछ नई भाषाएँ भी सीख लीं। उनसे मिला हुआ मेरासबसे अच्छा अनुभव स्वछता का है। वो मुझे और मेरे दोस्तों को स्वच्छ रहने की सीख देते।

जितेंद्र जैसवार

मेरे एक मित्र ने बताया कि हमारे विद्यालय में एक पुस्तकालय भी है जहाँ पर विभिन्न प्रकार की कविताओं की किताबें हैं। मुझे कवियों की कविता पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। मुझे सर्वाधिक प्रेरित करने वाली कविता बालकृष्ण शर्मा द्वारा लिखितविप्लव गानहै। इस कविता में कवि कहते हैं कि कवि ऐसी कवितायें लिखें जो नवयुवकों और सैनिकों को प्रेरित करें जिससे वह जोश और विश्वास के साथ मुश्किलों का सामना कर सकें। इस कविता ने मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया है। मैं जिस कार्य को करने से घबराता था, अब उस कार्य को करने के लिए तैयार रहता हूँ। कवि ने कविता में बहुत ही सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है:

कवि ऐसी तान सुनाओ
जिससे उथल पुथल मच जाए।
एक हिलोंर इधर से आये
एक हिलोंर उधर से आये।

मैने इस कविता से जाना कि विश्वास ही वो शक्ति है जो हमारी हर पल सहायता करती है। पहले मैं बहुत सारी कविताओं कि पुस्तकें खरीद कर पैसे ख़त्म कर दिया करता था पर अब मेरे विद्यालय के पुस्तकालय के कारण मुझे अनगिनत पुस्तकें पढ़ने को मिलती हैं।

हम सब विद्या में पिछले कुछ साल से पढ़ रहे हैं। यहाँ शुरुआत से ही लाइब्रेरी है और रोज़ आधे घंटे लाइब्रेरी का इस्तेमाल करने का अवसर दिया जाता है। उसमे हम भी शामिल हुए हैं। हर दिन आधे घंटे रोज़ कहानियों की पुस्तकें पढ़ना, सुनना, सुनाना हमें बहुत पसंद है। इससे हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि हुई, अनजाने लोगों के सामने बोलने की क्षमता में विकास हुआ। ये सब करते समय हमारे सामने कई परेशानियाँ आई। जब शिक्षक हमें खड़े होकर कुछ कहने को बोलते थे, तो हमें अंदर ही अंदर बहुत डर लगता था। धीरे-धीरे ये हमारी आदत बन गई और आज हम स्वंतंत्र रूप से कई लोगों के सामने बोल सकते हैं।

देवेंद्र बसंत यादव

मुझे किताबें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। एक दिन मैने “जीवन कौशल मार्ग दर्शिका” नाम की एक किताब पढ़ी। यह किताब भारत के अनाथ और जोखिम से घिरे बच्चों के लिए है। मैने इसके दो भाग पढ़े हैं। अगर आप लोगों को भी समय मिले तो इस किताब को ज़रूर पढ़िए गा। इस किताब में एक CD भी है जो आप देख सकते हैं। मुझे कवितायेँ भी पसंद हैं। मेरी सबसे पसंदीदा कविता है सुनील जोगी द्वारा लिखित “माँ”। ये किताबें पढ़ना मेरे पुस्तकालय की वजह से संभव हो पाया है और मैं सभी को पुस्तकालय जाने की सलाह देता हूँ।


Rajani Thakur has been with VIDYA since she was 8 years old. She is a passionate reader and has been awarded the Student of the Year prize at her school.

Devendra Yadav first joined VIDYA in the 9th standard and has grown by leaps and bounds since then. He loves to dance, sing, and act and has also received a C++ certificate.

Jitendra Jaiswar is a shy, quiet and lovable class 10 student. His hobbies are sports, acting, singing and making new songs. Hailing from an underprivileged background, he is a very keen learner and eager to improve. He is excellent in studies and has good leadership qualities as well.

Sarita Prajapati is a class 10 student. Her hobbies are dancing and her dream is to become an actress. She is excellent at academics and works very hard towards her goals. She enjoys life-skills and reading time at VIDYA the most.

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