प्रारंभिक साक्षरता पर काम करते हुए हमें शिक्षण के उद्देश्यों को एक व्यापक फलक पर देखने का प्रयास करना चाहिए| यह समझना चाहिए इन उद्देश्यों में पढ़कर समझ बनाने के साथ एक पाठक बनाने की बात भी शामिल है| कक्षा में किसी पाठ पर काम करने का उद्देश्य केवल इतना ही न हो कि हमने पाठ दिया| उसके प्रश्नोत्तर, अभ्यास पूरे करा दिए| प्रारंभिक साक्षरता पर कक्षा में काम करते हुए कहीं यह ध्येय होना चाहिए कि पढ़ने–लिखने की प्रक्रिया को बच्चे अपने व आसपास के अनुभवों, सोच व कल्पना से जोड़ पाएं| यह कक्षा की प्रक्रियाओं को सार्थक बनाने के लिए तो आवश्यक है| वहीँ किसी पाठ पर समझ बनाने का अभिन्न हिस्सा भी है|
इस संदर्भ में बच्चों को पाठक बनाने के लिए उन्हें नियमित पढ़ने के मौके देना व अच्छे बाल साहित्य से परिचित करवाना भी महत्वपूर्ण क्रियाकलाप है| इसमें बच्चे पढ़ने/ सुननेकी प्रक्रिया में जहां कहानी का आनंद ले रहे होते हैं| वहीँ कहानी से अपने अनुभवों, भावनाओं व विचारों को जोड़ रहे होते है| किताब पर चर्चा के दौरान पाठ्य व चित्रों की बारीकियों में जाते हैं| अनुमान के माध्यम से आगे सोचते हैं| अपने अनुभवों को जोड़ते हैं| यह प्रक्रियाएं बच्चों में पढ़ने का रुझान बनाने के लिए जरुरी है| आगे के इस आलेख में हम बच्चों को किताब सुनाने व बाल साहित्य के बारे में समझ बनाने का प्रयास करेंगे|
ऊधमसिंह नगर जिले की एक प्राथमिक शाला की चौथी कक्षा में38 बच्चे उपस्थित हैं| विद्यालय की शिक्षिकाने खुद की पहल पर बच्चों के लिए पुस्तकालय स्थापित किया है| बच्चों को पुस्तक पढ़ने के मौके मिलते हैं| उनसे किताबों पर चर्चा भी होती है| बच्चे किताब घर भी ले जाते हैं| आज बच्चों के साथ नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रकशित किताब ‘कजरी गाय झूले पर’ पर बच्चों को पढ़के सुनाने व उस पर चर्चा करने की योजना है|
सर्व प्रथम बच्चों को गोल घेरे में बैठाया गया और बीच में खड़े होकर उनकी ओर घूमते हुए किताब दिखाई गई| यह उनके लिए नई किताब है| बच्चे किताब के मुखपृष्ठ पर गाय को झूला झूलते हुए देखकर खुश हो गए| बच्चों को इशारा किया गया – इसकी पूंछ भी देखो कैसी हवा में लहरा रही है ? फिर बच्चों से किताब का नाम पढ़ने को कहा – ‘कजरी गाय झूले पर’| आगे –चित्र में कौए को भी देखने की बात कही गई|
बच्चों से बात शुरू हुई इस किताब का कवर देखते हुए तुम समझ गए होगे कि इसमें कजरी गाय के झूला झूलने के बारे में कहानी होगी| अब यह सोचना है कि यह कहानी कैसे शुरू होगी? पहले चित्र में क्या होगा? इस पर कई बच्चों के हाथ खड़े हो गए एक बच्ची ने कहा –“कजरी गाय बच्चों को झूला झूलते हुए देखते होगी और उसका मन भी झूला झूलने के लिए कर रहा होगा”|
फिर बच्चों को किताब का शुरूआती चित्र दिखाया गया और बच्चों से पूछा गया कि चित्र में क्या–क्या दिख रहा है? फिर चित्र के साथ दिया गया पाठ्यांश पढ़ा गया:
गर्मी का दिन था | सूरज चमक रहा था, चिड़ियां चहचहा रही थीं और मक्खियां भिनभिना रहीं थीं | सभी गायें चरागाह में घास चर रहीं थीं | सिर्फ कजरी गाय को छोड़कर |
बच्चों से फिर बात हुई – चित्र में कजरी गाय कहां पर है ? बच्चे थोड़ी देर सोचते रहे| सम्मोने कजरी गाय को तुरंत पहचान लिया,पेजमें कजरी गाय का बहुत छोटा चित्र बना हुआ था| आगे सम्मोसे पूछा गया – उसने कैसे पहचाना? इस पर अन्य बच्चों ने बताया – कजरी गाय लाल है और गायों पर सफ़ेद चित्तियाँ पड़ी हुई हैं|
बच्चों से किताब के अगले चित्र पर बात शुरू हुई–कजरी गाय को साइकिल चलाते हुए देखो| कैसे छिपते हुए साइकिल चला रही है| यह भी देखो कजरी गाय अपनी साइकिल के कैरियर पर बांध के क्या ले जा रही है ? बच्चे ध्यान से देखकर बताने लगे – कैरियर पर वह पटरा व रस्सी बांधकर ले जा रही है | फिर बच्चों से पूछा गया – वह इनको लेकर कहां जाएगी ? बच्चों ने कहा – वह कौए के पास जाएगी क्योंकि उसे झूला डालना है और गाय को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता तो कौआ उसकी मदद करेगा|
यहां बच्चों से थोड़ी यह भी बात हुई कि आपने भी झूला झूला होगा| बच्चों ने बताया – हाँ, झूला है| उन्होंने बताया -आम, नीम, जामुन आदि के पेड़ पर झूला डालकर झूला है| उन्होंने बताया उन्हें झूला झूलने में मज़ा आता है| इसके बाद बच्चों से यह बात हुई कि इस पर आगे और बात करेंगे अभी देखें कि कजरी गाय झूला डालने के लिए क्या करती है ?
इसके बाद बच्चों को आगे किताब का चित्र दिखाया गया – कजरी गाय कौए के घर के पास खड़ी है और कौए से बात कर रही है| इसके साथ चित्र के साथ दिए गए पाठ्यांश को पढ़ा गया|
इसके बाद बच्चों से बात हुई कि वे सोचें कौआ गाय की झूला डालने में मदद करेगा कि नहीं? कुछ बच्चों ने कहा – मदद नहीं करेगा गाय खुद ही झूला डालेगी| कुछ बच्चों ने कहा – हाँ, मदद करेगा| इसके बाद चित्र के साथ दिया गया पाठ्यांश पढ़ा गया जिसमें कजरी गाय कौए से झूला डालने में मदद करने की बात कह रही है–
“ मैं!” वह चिल्लाया| बांधूं| मेरी बला से!”
कौआ हैंडिल से उड़ा|
वह कजरी गायके सिर के चारों ओर जितनी तेजी से हो सकता था उड़ा|
“ मैं एक गाय के लिए झूला नहीं बांधने वाला|”
“पर मैं तो बांध नहीं सकती,” कजरी गाय ने मधुर आवाज में कहा|
“पर तुम्हारे पंख तो हाथों की तरह हैं| देखो, मैं तो पहली डाल तक पहुंच ही नहीं सकती, पर तुम तो आराम से उड़कर पहुंच सकते हो|”
बच्चे इस पाठ्यांश के चित्र को देखकर समझे इतने कौए कहां से आए? फिर बच्चों को बताया गया कौआ एक ही है वह यहां घूम –घूम कर बात कर रहा है| फिर बच्चों ने आगे चित्र देखे जिसमें कजरी गाय विनती के भाव में कौए से झूला डालने के बारे में कह रही है|
इसके बाद बच्चों को आगे का चित्र दिखाया गया जिसमें कौआ कजरी गाय के लिए पेड़ पर झूला बांधने में मदद कर रहा है और गाय प्रसन्न दिखाई पड़ रही है| कुछ बच्चे चित्रों को अच्छे से देखने के लिए अपने पास बुला रहे थे|
अगले चित्र में बच्चों ने देखा गाय झूले पर बैठी हुई है और कौआ चुपचाप एक कोने में बैठा हुआ है| इस चित्र पर बच्चों से बात हुई कि कजरी गाय कौए से कह रही है मुझे झूला झुलाओ और कौआ झूला झुलाने में आनाकानी कर रहा है| अब क्या होगा? बच्चों से बात होती है – गाय कैसे झूला झूलेगी ? कुछ बच्चे चुप रहे और कुछ बच्चों ने कहा अभी झुलाएगा|
आगे उन्होंने कजरी गाय को झूला झूलते हुए चित्र में देखा तो बच्चे खुश हो गए| आगे बच्चों से बात हुई – वे चित्र को ध्यान से देखें कि गाय को झूला झूलने में कितना मज़ा आ रहा है| कितनी खुश दिखाई पड़ रही है| ऐसा ही मज़ा आपको भी आता होगा |
बच्चों के साथ किताब पढ़ते हुए फिर बात हुई कि घर्र–घर्रकरते हुए इंजन की आवाज़ आ रही है| अब कौन होगा? किस चीज़ की आवाज़ हो सकती है? फिज़ा कह रही है – गाय का मालिक होगा| वह कजरी गाय को लेने के लिए आया होगा| फिज़ा सही अनुमान लगा रही थी |
अगले चित्र में बच्चों ने देखा कि किसान ट्रैक्टर पर आ रहा है और कजरी गाय झूला झूल रही है | कौआ गाय से कह रहा है – जल्दी से कूदो| किसान आ रहा है| कजरी गाय कह रही है – कैसे कूदूं? तुम मेरे आगे आ जाओ? कौआ चिल्लाया– “जिससे गाय मेरे सिर पर धड़ाम से गिरे| इससे मेरे पंखों का सत्यानाश हो जाए|‘’ फिर गाय झूले से कूद पड़ती है|
कजरी गाय पेड़ों के पीछे छिपने की कोशिश कर रही है| कौआ उसे बताता जा रहा है ठीक से छिप जाओ| किसान आ रहा है| किसान जंगल में पेड़ पर पड़े झूले को देखकर चौंकता है और सोचता है यहां जंगल में भला झूला किसने डाला होगा? वह थोड़ी देर झूले पर बैठकर चला जाता है और उसकी टोपी वहीँ गिर जाती है| दूसरी ओर कौआ घूम–घूम कर किसान को देख रहा है| गाय एक पेड़ के पीछे छिपी हुई है|
आगे के चित्र में कजरी गाय किसान की टोपी पहन लेती है और साइकिल से वापस जा रही है| बच्चों को इस चित्र को देखने में अच्छा लग रहा है| कजरी गाय कहती है- उसकीइस टोपी को पहनने की मेरी हमेशा से इच्छा रही है| फिर वहदूध दुहाने के लिए घर चली जाती है|
अंतिम चित्र में किसान गाय का दूध दूह रहा है और कजरी गाय भी टोपी लगाए अपने घर में पहुंच जाती है| और बच्चों के साथ किताब की ये पंक्तियां पढ़ी जाती हैं –
“ वाह भाई वाह! क्योंकि मैं एक गाय हूँ , इसका यह मतलब नहीँ कि मैं सारा दिन खड़ी– खड़ी घास की जुगाली करती रहूं, और चीजों को घूरती रहूं|”
किताब को बच्चों को पढ़कर सुनाते हुए यह देखने को मिला बच्चे किताब को सुनने , चित्रों को देखने में तल्लीन थे| इसके बाद किताब से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा शुरू हुई -कहानी के कौन से हिस्से व चित्र आपको अच्छे लगे? और क्यों? इस पर बच्चों ने कई हिस्सों के बारे में बताया – कजरी गाय की साइकिल के हैंडिल पर कौआ बैठा हुआ है, जहां कौआ कजरी गाय के आगे गोल –गोल घूम रहा है, जब कजरी गाय किसान की टोपी लगाए हुए है आदि|
अगली चर्चा में बच्चों ने अपने झूला झूलने के अनुभवों के बारे में बताया| इसमें वसीम, साहिबा,निशा,अंजली,सावेज आदि प्रमुख थे| चर्चा के अंत में उन्हें लिखने को कहा गया और उन्होंने लिखकर भी दिखाया| एक उदहारण देख सकते हैं –
एक दिन मैं अपने घर पर अनार के पेड़ पर लकड़ी का झूला डाल रही थी| तो हमारे संग बहुत सारे बच्चे झूला खाने लगे| तो हमारी मम्मी ने कहा – यहां से झूला हटा दो| तब हमारी रस्सी खुद ही टूट गई और बच्चे गिरे तो हमें बहुत मजा आया| झूला खाते हैं तो बहुत मजा आता है |
– रजनी
बच्चों के उक्त लेखन में हम उनके अनुभवों, सोच व कल्पना को देखते हैं| सबसे महत्वपूर्ण बात यह है बच्चे अपने अनुभवों से किताब से अपना रिश्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं| यह पढ़कर समझ बनाने के लिए बहुत जरुरी है| बच्चों के लेखन में हमें यह लग सकता है कि यह अधूरा है, इसमें मात्राओं की गलतियां हैं आदि परंतु हमें समझना पड़ेगा कि यह बच्चों के लिखना सीखनेकी प्रक्रिया एक हिस्सा है| इसमें धीरे–धीरे ही सुधार होगा| इस पर शिक्षक उनसे बात कर सकते हैं|
अगली चर्चा में बच्चों से बात हुई- कजरी गाय घास, पत्तियां व भूसा खाती है| जुगाली करती है पर झूला झूलना चाहती है| टोपी पहनना चाहती है| तुम भी स्कूल आते हो, घर पर भी काम करते हो, टी.वी.देखते होगे| इसके अलावा तुम्हारा और क्या काम करने का मन करता है? उसके बारे में बताओ| इस पर साहिबा ने बताया कि हम पढ़ना चाहते हैं लेकिन हमें पढ़ने का समय नहीं मिलता| घर पर हमें काफ़ी काम करना पड़ता है| इस पर उसके साथियों ने कहा,“जी सर, जब इसके घर जाओ तो ये बड़े–बड़े बर्तन मांजती दिखती है|” शशि ने कहा,“वह क्राफ्ट कि चीजें बनाना चाहती है पर उसे सामान नहीं मिलता|” बच्चों की इन प्रतिक्रियाओं से हमें उनके सामाजिक–आर्थिक संदर्भ का गहराई से पता चलता है| हम उसे महसूस कर सकते हैं और उनसे गहराई से जुड़ते हैं|
आगे बच्चों से बात हुई किइस कहानी से तुम कजरी गाय के बारे में क्या सोचते हो? वह कैसी गाय है? वह क्या सोचती है? और कौआ कैसा है? वह क्या सोचता है? वे दोनों कैसे दोस्त हैं? इस पूरी चर्चा में यह भी समझने कि जरुरत है कि हम बच्चों से कैसे प्रश्न पूछें ? इसके लिए हमें भाषा शिक्षण के उद्देश्यों को समझना पड़ेगा| इसमें यह बात भी निहित है कि बच्चे किताब को अपने अनुभवों से जोड़कर देख पाएं| उन्हें कहीं लगे जो हम कहानी / कविता पढ़ते हैं वह हमसे व हमारे आसपास से जुड़ी हुई है| इसके साथ ही बच्चों में साहित्यिक रुझान विकसित करने के लिए पाठ के चरित्रों, उनके अंतर्संबंध व भाषायी सौंदर्य से जुड़े प्रश्नों को भी चर्चाके दायरे में लाना चाहिए|
अंत में बच्चों से यह बात हुई उन्हें पूरी किताब कैसी लगी? इसके बारे में अपने मन से लिखो और चित्र भी बनाओ| इस बातचीत में अरीसा, अनम व फिज़ा ने अपने विचार प्रकटकिए| इसे एक उदहारण में देखें–
किताब पढ़ने में अच्छी लगी| किताब में कजरी गाय अच्छी लगी| चित्र में हमने देखा कजरी गाय के सिर के ऊपर कौआ गोल–गोल घूम रहा था| किताब पढ़ना अच्छा लगा|– फिज़ा
कुल मिलाकर बच्चों की इन प्रतिक्रियाओं को हम सही–गलत के खाने में नहीं रख सकते| यहां यह देख सकते हैं बच्चे किस तरह से चर्चाओं में इंटरप्रेट करते हैं और उनकी प्रतिक्रियाओं को हमें उनके सामाजिक संदर्भ व उनकी विकास अवस्था के अनुरूप देख सकते हैं|
किताब के आधार पर समीर,विक्की, रोहित आदि ने बढ़िया चित्र बनाए जहां उनकी चित्रात्मक अभिव्यक्ति दिखाई देती है| इसके कुछ नमूने नीचे देखें–
बच्चों के बनाए चित्र
बच्चों को किताब सुनाने व चर्चा करने की इन प्रक्रियाओं में हम देखते हैं कि सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने की प्रक्रियाएं समग्रता में चल रही हैं| वहीँ बच्चों का किताबों को देखने–पढ़नेका दायरा भी व्यापक हो रहा है| वे अच्छे साहित्य व चित्रों से परिचित होते हैं| इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कक्षा की यह पूरी प्रक्रिया बच्चों में पढ़ने के प्रति रुझान बनाने में मदद करती है|